Skip to main content

Posts

Showing posts from July, 2025

फुसफुसाता बरगद

उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव बिठूर में, जहाँ शाम ढलते ही दिए टिमटिमाने लगते हैं और रातें भयानक खामोशी में डूब जाती हैं, गाँव की सीमा पर एक पुराना बरगद का पेड़ खड़ा था। गाँव वाले कहते थे — “उस पेड़ के पास सूरज ढलने के बाद मत जाना।” कहानी थी "चंपा" की — एक विधवा औरत, जिस पर लोगों ने जादू-टोना करने का आरोप लगाया था। गाँव में जब अकाल पड़ा, कुएं सूख गए और खेत जल गए, तो लोगों ने उसी पर दोष मढ़ दिया। एक रात, भीड़ ने उसे उस बरगद से बाँध दिया और वहीं मरने के लिए छोड़ दिया। उसकी चीखें अंधेरे में गूंजती रहीं... और फिर सुबह होने से पहले सब शांत हो गया। लेकिन शांति केवल बाहर की थी। उस रात के बाद, जब भी कोई उस पेड़ के पास गया, फुसफुसाहटें सुनाई देने लगीं — कभी नाम लेकर पुकारती, कभी रोती हुई आवाजें। बच्चे अगर गलती से पास खेलते, तो चुप हो जाते, जैसे उनकी आवाज छीन ली गई हो। जानवर उस पेड़ को देख कर काँपने लगते। हर साल उस रात, जब चंपा की मौत हुई थी, पेड़ के चारों ओर लाल धुंध छा जाती। गाँव वाले दरवाज़े बंद कर लेते, दीये बुझा देते। एक बार करन, एक शहर का पत्रकार, गाँव आया। उसे इन बा...